तमिलनाडु के एक नेत्रहीन भिखारी ने कृष्णागिरि जिला कलेक्टर कार्यालय में एक अलग याचिका दायर की है। 65 वर्षीय भिखारी की इस मांग ने अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया है।
एक नेत्रहीन भिखारी जिसको ये नहीं मालूम था भारत में नोटबंदी हो चुकी है उसके पास कुल जीवन भर की बचत 65,000 रुपये है जो की उसने भीख मांग कर जमा किए हैं ।
इनमें 1,000 रुपये के नोट और 500 रुपये के पुराने नोट शामिल हैं जो की नोट बंदी के बाद अमान्य हो गए हैं। अब उसने पुराने नोटों को बदलने के लिए कलेक्टर की मदद मांगी है।
पता चला है कि भीख मांगकर पैसे कमाए गए थे। कृष्णागिरि जिले के चिन्नागौंदनूर गांव का एक भिखारी चिन्नाकन्नू मांग लेकर कलेक्ट्रेट आया था।
वह पांच साल की उम्र से दृष्टिबाधित है छोटी उम्र से ही वह गांव में एक झोंपड़ी में भीख मांगने के लिए अकेला रहता था। चार साल पहले उन्हें इस बीमारी का पता चला था। वह अपने बचत के पैसे कहीं रखकर भूल गया था।
लेकिन हाल ही में उसे अपने खोये हुए पैसा मिल गए। जब वह ये नोट जमा करने बैंक में पहुंचा तो जवाब कि यह पुराने नोट हैं इसलिए बैंक में नहीं लिए जाएंगे। यही कारण है कि वह कलेक्ट्रेट से मदद मांगने पहुंचा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भिखारी सालों से कृष्णागिरि के आसपास रहकर भीख मांग रहा था. ज्यादातर पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट हैं। उनका कहना है कि यह वह पैसा था जो उन्होंने उम्र बढ़ने के साथ-साथ बुढापे में काम आने के लिए कमाया था।
तमिलनाडु के जिला राजस्व अधिकारी ने याचिका को जिला लीड बैंक बनर्जी को भेज दिया, लेकिन इसे RBI को अग्रेषित करने का निर्देश दिया गया। बैंक अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा नियमों के तहत करेंसी ट्रांसफर संभव नहीं है।
पुराने नोट बदलने की आखिरी तारीख 31 मार्च, 2017 रखी गई थी। इसलिए, अब पुरानी करेंसी ट्रांसफर की फिलहाल कोई कानूनी संभावना ही नहीं है। और यह मांग भारत सरकार के कानून के खिलाफ है।
शिकायत आरबीआई को भेजी जाएगी। आरबीआई द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी RBI मामले पर विचार करेगा ताकी उस बूढे़ नेत्रहीन भिखार को इंसाफ मिल सके।